तेरे बस की बात नहीं है,यह कहकर किसने रोका?जब जब पंख पसारे तुमने,उड़ने से किसने टोका?जब जब पथ पर कदम बढ़ाए,चलने से थे हिचके तुम।ढूंढें नए बहाने नित -दिन,मन के संग-संग भटके तुम।अब कहते हो वक्त बुरा है,हालातों ने मार रखा।अपने मन के भीतर झांको,बोलो किसकी गलती है?यह सब तेरी गलती है,हां यह बस तेरी…
by Rahul