पथ के साथी

जीवन का गंतव्य ढूंढने चला पथिक मैं अभिलाषी।
पथ पर चलकर सत्य ये जाना कोई नहीं पथ का साथी।
हुई घोर निराशा टूटी-आशा तब सहसा ही यह जाना।
लक्ष्य मेरा जीवन मेरा है मैं ही खुद का संगाती (साथी)।
सबके अपने स्वार्थ जुड़े हैं रिश्ते और जज़्बातों में।
तू मेरा है;मैं तेरा ये शब्द जुड़े आभासों से।
सोचो ना आशाएं होती तो बोलो फिर क्या होता?
होते सब जंगल के वासी(पशु समान) या होते सब संन्यासी।
प्रेम-त्याग कलयुग में दिखता बस पुस्तक और बातें में।
मैं जानूं और सब ये जाने हैं स्वार्थ जुड़ा सब नातों से। सत्संग और उपदेश व्‍यर्थ है अगर ये बात नहीं समझी। मतलब के हैं रिश्ते-नाते मतलब की दुनियादारी। सबकी अपनी-अपनी जरूरत सबके अपने-अपने बोल। प्रेम के बदले प्रेम और मिलता रिश्ते हैं माटी के मोल। सबके मुख पर एक मुखौटा जब उतरे तो भेद खुले। समय बुरा हो जब भी अपना रिश्ता कौन निभाता है? निश्चल प्रेम तो माता करती चाहे जो-जैसे हो तुम। पर है पिता का स्थान नहीं कम जो पालन करते हर दम। जिसने भी है सत्य ये जन मानव वो सच्चा ज्ञानी। स्वार्थ रहित जो प्रेम साध ले होवे सबका विश्वासी। जीवन के इस दुर्गम पथ पर चलते-चलते अब जाना। जो देगा वो ही पायेगा कठिन नहीं है समझाना। दूजों से चाहो जो कुछ भी पहले पहल तुझे करनी। यदि सब सबका मुख लगे देखेंगे बाद पड़ेगी पछतानी। समय-समय की बात है बंधु बड़ा बलधारी है। कभी मित्र सा परम हितैशी कभी ये अत्याचारी है। सच ही कहा है बड़े जनों ने समय ही; समय पर बतलाता। कौन यहां पर कितना अपना कितना पराया है।

युद्धक्षेत्र(Battlefield)

ना डर ​​तू उठ महारथी चुनौतियां पुकारती।
यहां न कृष्ण-पार्थ हैं स्वयं ही है तू सारथी।
विपत्तीयों के अंध को तू चीरता प्रकाश है।
है संशयों का स्थान क्या तू ही स्वयं विश्वास है।
हो भय भले सफल न हो विफल भी हो तो दुख नहीं।
जो हुए महान हैं प्रथम कोई सफल नहीं।
है कर्म तेरे हाथ में प्रयास कर प्रयास कर।
कि लक्ष्य प्राप्ति ध्येय हो न और कुछ विचार कर।
समय-2 की बात है तेरा कभी मेरा कभी।
ये गूढ़ तथ्य ज्ञान का भला किसे पता नहीं।
जीवन यह है युद्ध क्षेत्र व कर्म अस्त्र-शस्त्र हैं।
विचारता है क्यों भला यही तो मूल मंत्र है।
भले सगे हों या कोई;तेरा कोई सगा नहीं।
विपत्तियों के होड़ में तू एक संग कोई नहीं।
राह तेरी है कठिन व सामने पहाड़ है।
तू भय न खा कदम बढ़ा गगन सा तू विशाल है।
ना धीर तज निराश हो थका नहीं तू हारकर।
हां वीर है सशस्त्र तूं कि लक्ष्य पर प्रहार कर।