तेरे बस की बात नहीं है,
यह कहकर किसने रोका?
जब जब पंख पसारे तुमने,
उड़ने से किसने टोका?
जब जब पथ पर कदम बढ़ाए,
चलने से थे हिचके तुम।
ढूंढें नए बहाने नित -दिन,
मन के संग-संग भटके तुम।
अब कहते हो वक्त बुरा है,
हालातों ने मार रखा।
अपने मन के भीतर झांको,
बोलो किसकी गलती है?
यह सब तेरी गलती है,
हां यह बस तेरी गलती है।
सबकी बातें तो छोड़ ही दो,
तुमने भी थे कुछ ख़्वाब बुने।
था पता तुम्हें बिन कोशिश के,
न खुद ही कोई बात बने।
यह मंशा जो सागर तरने की,
जल उतरे बिन साकार नहीं होगी।
अब कहते हो मैं क्या करता,
बस उसकी ही चलती है ।
खुद मन के भीतर झांको,
बोलो किसकी गलती है?
यह सब तेरी गलती है,
हां यह बस तेरी गलती है।
टाल रहे तुम बात-बात पर,
यूं हाथों पर हांथ धरे।
कहते मेरे दिन आएंगे,
मन में हो विश्वास भरे।
बोलो तुम ही बिन पग धारे,
किसने मंज़िल को पाया?
बाधाओं-विपदाओं से डर,
किसने ध्वज है लहराया?
जान-बूझ सब तुम ना बदले,
क्या दुजे की गलती है?
अपने मन के भीतर झांको,
बोलो किसकी गलती है?
यह सब तेरी गलती है,
हां यह बस तेरी गलती है।
जीवन में जो कष्ट उठाए,
तुमने ख़ुद को बहलाया।
दुजे सिर पर दोष मढ़ा बस
खुद को दुखिया बतलाया।
एक हांथ ताली ना बजती
तुम ही मुख से कहते हो।
जीवन में जो नाद है छाया
क्या बस एक हंथेली है?
अपने मन के भीतर झांको
बोलो किसकी गलती है?
यह सब तेरी गलती है।

पथ के साथी
जीवन का गंतव्य ढूंढने चला पथिक मैं अभिलाषी।पथ पर चलकर सत्य ये जाना कोई नहीं पथ का साथी।हुई घोर निराशा टूटी-आशा तब सहसा ही यह जाना।लक्ष्य मेरा जीवन मेरा है मैं ही खुद का संगाती (साथी)।सबके अपने स्वार्थ जुड़े हैं रिश्ते और जज़्बातों में।तू मेरा है;मैं तेरा ये शब्द जुड़े आभासों से।सोचो ना आशाएं होती…
युद्धक्षेत्र(Battlefield)
ना डर तू उठ महारथी चुनौतियां पुकारती।यहां न कृष्ण-पार्थ हैं स्वयं ही है तू सारथी।विपत्तीयों के अंध को तू चीरता प्रकाश है।है संशयों का स्थान क्या तू ही स्वयं विश्वास है।हो भय भले सफल न हो विफल भी हो तो दुख नहीं।जो हुए महान हैं प्रथम कोई सफल नहीं।है कर्म तेरे हाथ में प्रयास कर…
कुछ करता जा(Do Something)
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बहुत ही खूबसूरत रचना।
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